रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार की पहली प्रशासनिक सर्जरी का विवाद दिल्ली पहुंच गया है। चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक इसकी शिकायत हुई है। यही वजह है कि प्रदेश प्रभारी ओम माथुर प्रशासनिक सर्जरी का पोस्टमार्टम कर रहे हैं। खबर है कि 88 आईएएस और 1 आईपीएस अफसरों की इस पोस्टिंग में मुख्य भूमिका साय सरकार के एक मंत्री, सीएम सचिवालय के एक अफसर और समुदाय विशेष के एक आईपीएस की रही है।* इस तिकड़ी ने अपने मन मुताबिक ट्रांसफर सूची तैयार की और इस बारे में संघ व संगठन से कोई राय-शुमारी नहीं की गई। अधिकांश ऐसे अफसरों को मलाईदार पोस्टिंग दी गई है, जो पिछली सरकार में भी भारी-भरकम विभाग संभाल रहे थे। चर्चा तो यह है कि पुरानी सरकार के काले-पीले कारनामों पर परदा डालने के लिए चुनिंदा अफसरों को विशेष पोस्टिंग दी गई है। लिस्ट बनाते समय गृह राज्य और स्वजातीय अफसरों का खास ख्याल रखा गया है।

छत्तीसगढ़ में इस पहले फेरबदल को लेकर बीजेपी नेताओं और संघ के बड़े पदाधिकारियों की भृकुटि इसलिए भी तनी हुई है, क्योंकि *इस लिस्ट में शम्मी आबिदी, शहला निगार, मो. कैसर अब्दुल हक, तंबोली अयाज फकीर भाई, इफ्फत आरा, फरिहा आलम जैसे अफसरों को बेहद महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

नगरीय निकाय, आवास, हाउसिंग बोर्ड, नवा रायपुर विकास प्राधिकरण जैसे विभाग में भी चुनिंदा अफसरों की पोस्टिंग चौंकाने वाली है। कहा जा रहा है कि एक पूर्व मंत्री और राजधानी के एक कांग्रेसी नेता की पसंद से यहां नियुक्तियां की गई है। पूर्व सरकार में प्रभावशाली नेताओं ने पिछले पांच सालों में जमीन की खरीद-बिक्री में करोड़ों-अरबो का वारा-न्यारा किया है। सरकारी प्रापर्टी के दस्तावेजों व रजिस्ट्रियों में खूब घाल-मेल की शिकायत है। इतना ही नहीं निर्माण विभागों में हजारों करोड़ के बेनामी ठेके हैं। ऐसे में पूरी प्लानिंग के साथ अफसरों को बिठाया गया है, ताकि काले-पीले कारनामों की लीपा-पोती की जा सके। कहा जा रहा है कि ऐसी तमाम चर्चाओं को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं के पास तथ्य भेजे गए हैं।

इसके अलावा महत्वपूर्ण पोस्टिंग पाने वाले कई ऐसे नाम भी है, जिनकी चुनाव आयोग में शिकायत की गई थी या फिर उनके जिलों में बीजेपी को काफी नुकसान हुआ है। संजीव झा को बिलासपुर कलेक्टर पद से चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाया गया था। वे पिछली सरकार में सरगुजा, कोरबा में भी कलेक्टर रहे। अब समग्र शिक्षा जैसे विभाग का संचालक बनाया गया, जहां खरीद का बड़ा बजट रहता है। कुंदन कुमार के बारे में कहा जाता है कि वे पॉवरफुल अफसर के गृह राज्य से ताल्लुक रखते हैं। पिछली सरकार के विवादित अधिकारी से अच्छे तालमेल की चर्चा है। उन्हें नगरीय प्रशासन का संचालक बनाया गया है। मोहम्मद अब्दुल कैसर हक को सचिव पीएचई, वाणिज्य, उद्योग बनाया गया है। जल जीवन मिशन का काम पीएचई के जरिए होता है। बड़े बजट वाला महत्वपूर्ण विभाग है। पीएम के ड्रीम प्रोजक्ट अमृत जल योजना का काम इसी के जिम्मे होगा। पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह इस विभाग में करोड़ों की गड़बड़ी का मामला उठा चुके हैं।

जनक पाठक पिछले सरकार में कई जिलों के कलेक्टर रहे। राजधानी के एक नेता के करीबी होने के आरोप लगे थे। चुनाव से पहले ईडी की जांच में शराब घोटाले के उजागर होने के बाद एक्साइज, आवास जैसे विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। अब मंडी बोर्ड दिया गया। अय्याज तांबली, हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त बनाए गए। उनके एक प्रभावशाली पूर्व मंत्री के भाई से नजदीकी के बारे में चर्चा आम है।

आईएएस सौरभ कुमार की पोस्टिंग ने भी बीजेपी नेताओं को चौंकाया है। वे रायपुर, बिलासपुर, कोरबा कलेक्टर रहे हैं। अब उन्हें नवा रायपुर प्राधिकरण और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि यह बीजेपी का कोर विभाग है। ऐसे में पिछली सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ नई सरकार में भारी-भरकम विभाग में पोस्टिंग पर सवाल उठ रहे हैं।

टीएस सिंहदेव की करीबी रहीं निहारिका बारीक सिंह को साय सरकार में इनाम मिल गया, उन्हें बड़ा और महत्वपूर्ण पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सौंपा गया है। आर. संगीता आबकारी के साथ आवास और पर्यावरण विभाग के साथ पर्यावरण मंडल की अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभालेंगी। यह पहली बार होगा, जब किसी महिला अधिकारी को आबकारी विभाग दिया गया है।

नारायणपुर कलेक्टर रहते भाजपा नेताओं को दबंगई दिखाने वाले अजीत वसंत का कद बढ़ा कर कोरबा जैसे बड़े जिले का कलेक्टर बनाया गया है। महतारी वंदन योजना का फार्म बंटवाने पर भाजपा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने और एक भाजपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार करवाने वाले बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर चंदन कुमार को हटाने की चर्चा थी, लिन उनका कुछ नहीं हुआ।

जांजगीर-चांपा जिले की तीनों विधानसभा सीट में कांग्रेस की जीत हुई। संघ के नेताओं ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि जिले में बीजेपी की दुर्दशा के लिए अधिकारी जिम्मेदार रहे हैं। उन्होंने खुलकर पिछली सरकार के लिए काम किया है, फिर भी वहां कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी को दुर्ग की कलेक्टरी मिली है। इसी तरह सक्ती जिले की तीनों सीटों में भाजपा की हार के बाद भी वहां की कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना के प्रति नरमी समझ से परे है।

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