छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के रहने वाले हेमचंद मांझी को औषधीय चिकित्सक के क्षेत्र में दिया जा रहा है। मांझी 5 दशकों से अधिक समय से ग्रामीणों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से जरूरतमंदों की सेवा करना शुरू कर दिया था। अबूझमाड़ के सुदूर जंगलों में जड़ी-बूटियों के विशेष ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।
दूसरा नाम जशपुर के रहने वाले जागेश्वर यादव का है। जागेश्वर जशपुर के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने हाशिये पर पड़े बिरहोर और पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। जशपुर में आश्रम की स्थापना की जिसने शिविर लगाकर निरक्षरता उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा मानकों को ऊंचा उठाने के लिए काम किया।
तीसरा नाम रामलाल बरेठ का है। बारेठ को काला के क्षेत्र में योगदान के लिए चुना गया है।रायगढ़ जिले के बरेठ कथक के मूर्धन्य नर्तक हैं ,पूर्व में इन्हें अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।