रायगढ़ । बी.एस स्पंज प्राइवेट लिमिटेड रायगढ़ के द्वारा शहर के अग्रोहा धाम रायगढ़ में 18 सितंबर से 21 सितंबर तक चार दिवसीय संतमत सत्संग का भव्य आयोजन किया गया।
संतमत सत्संग में प्रमुख विभूति पूज्यपाद स्वामी श्री गंगाधरजी महाराज महर्षि मेंही ध्यान योग आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड , पूज्य स्वामी श्री शिवनारायण बाबा महर्षि मेंही ध्यान योग आश्रम धनबाद झारखंड , पूज्य स्वामी श्री नरेशानंद बाबा महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर बिहार थे । इनके साथ ही अन्य साधु , महात्माओं का भी आगमन हुआ और उन्होंने अपने प्रवचन से उपस्थित श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक जिज्ञासा को शांत किया । संतमत सत्संग के इस चार दिवसीय आयोजन में महर्षि मेंही बाबा द्वारा जगत कल्याण हेतु दी गई शिक्षाओं को प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत किया गया । महर्षि मेंही बाबा ने ईश्वर की एकता पर बल देते हुए बताया था कि राम, कृष्ण, शिव आदि विभिन्न नाम रूपों में एक ही ईश्वर है और सभी रूपों में उनका वास है । गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बाबा मेंही ने बताया है कि गुरु का मार्गदर्शन ही साधक को ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जाता है। दीर्घकाल तक सत्संग , भजन और ध्यान करने से जीवन मुक्ति की दशा प्राप्त होती है । महर्षि मेंही बाबा के अनुसार संसार की भाग दौड़ में व्यक्ति बाहरी वस्तुओं के प्रलोभन में फंस कर रह जाता है , परन्तु वास्तविक ज्ञान और शांति तो अपने ही अंदर है जिसका अनुसंधान गुरु कृपा से होता है और संतों का सत्संग , भजन और ध्यान इसमें सहायता प्रदान करता है । बी एस स्पंज प्राइवेट लिमिटेड के परमानंद और आशीष अग्रवाल द्वारा पूज्य महर्षि मेंही बाबा के उपदेशों के प्रचार प्रसार के लिए संतमत सत्संग का विशाल और भव्य आयोजन किया गया । बी एस स्पंज प्राइवेट लिमिटेड परिवार ने सभी श्रद्धालुओं से इस अद्वितीय संतमत सत्संग का पूर्ण लाभ प्राप्त करने का सादर निवेदन किया था जो पूर्णतः सफल रहा । संतमत सत्संग का लाभ उठाने के लिए भक्तों, अनुयायियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी । भारी संख्या में लोग आए और संतों के अमृतमयी प्रवचनों का जी भर के रसपान किया । पूज्य महर्षि मेंही बाबा के अनुयायी संजय कुमार भारती ने इस अवसर पर संतमत सत्संग के आयोजन और महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संतमत अनादि काल से चला आ रहा है। संतों की वाणी से जनकल्याण होता है । संत ही व्यक्ति के उद्धार का पथ प्रशस्त करते हैं । प्रत्येक सनातनी ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है । संत इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उनके पथ प्रदर्शक के रूप अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं और आत्मा को परमात्मा में लीन करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं । यही मोक्ष प्राप्ति है जिसमें जीव आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाता है । संतमत सत्संग अपने आयोजन के उद्देश्य की प्राप्ति में सफल रहा । श्रद्धालुओं ने इस आयोजन की भूरि भूरि सराहना की और ऐसे आयोजनों की निरंतरता की मांग की ।

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