एक मार्च से पूरे राज्य में बोर्ड परीक्षा आरम्भ हो रही है,जो कि छात्रों के जीवन की सबसे अहम परीक्षा होती है। बोर्ड परीक्षा के परिणाम छात्रों के भविष्य तय करते हैं उनकी ऊर्जा बन कर उन्हें सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर करते हैं। शिक्षा जगत में बोर्ड परीक्षा की महत्ता सबसे अधिक है जिस हेतु हर बच्चा और उसके शिक्षक वर्ष भर मेहनत करते हैं और मेहनत की परीक्षा बोर्ड परीक्षा का रूप ले कर सामने आती है।
अच्छी शिक्षा ही मेरा उद्देश्य कथन को सार्थक करने का प्रयास शिक्षक डॉ पियूष चौबल कहते हैं कि बोर्ड परीक्षा में छात्रों का निर्भय एवं सकारात्मक होना आवश्यक है क्यों कि यह समय छात्रों के मन में डर उत्पन्न करता है उनकी की हुई मेहनत में कुछ छूट ना गया हो,कोई गलती ना हो जाए और भी कई तरह की बातें छात्रों के मन में उभरने लगती हैं, उन्हें वर्ष भर की गलतियां याद आने लगती हैं कई बातों में पछतावा होने लगता है जिससे भय की मात्रा बढ़ने लगती है और इस भय को भगाने का एक मात्र तरीका है सकारात्मक हो कर सिर्फ विषय अभ्यास करे,पुरानी किसी भी बात को याद ना करते हुए,अपने शिक्षक से बात करे उनसे विषय में आ रही समस्या से अवगत करा कर उसका हल समझे जिससे छात्रों के मन में विषय की ओर मेहनत बढ़ेगी और डर हटने लगेगा,जितना अधिक वे पूछेंगे उतनी अधिक ऊर्जा उनके स्मृति पटल पर आती जाएगी और वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकेंगे। बोर्ड परीक्षा केवल छात्रों की ही नहीं शिक्षकों की भी परीक्षा होती है शिक्षक के मन में भी अपने छात्रों को ले कर कई चिंताएं जन्म लेने लगती हैं,शिक्षक तो स्वयं जानकार हैं,सकारात्मक रह कर विषय पर बच्चों साथ चर्चा करे और महत्वपूर्ण प्रश्नों पर बच्चों का मार्गदर्शन करे जिससे बच्चे और शिक्षक दोनों में एक विश्वास जन्म लेगा जो सफलता की सीढ़ी निर्मित करेगा और मंजिल तक पहुंचाएगा। बोर्ड परीक्षा दे रहे सभी छात्रों एवं उन्हें पढ़ा रहे शिक्षकों को सफलता हेतु अनंत शुभकामनाएं। जय शिक्षा।
