मालदीव ने भारत से संबंधित 43 नागरिकों को देश से निकालने का निर्णय लिया है। इन व्यक्तियों पर विभिन्न अपराधों का आरोप है, जिससे उजागर होता है कि इस निर्णय के पीछे गहरे कारण हैं। मीडिया के अनुसार, मालदीव ने 12 देशों के 186 नागरिकों को देश से निकालने का निर्णय लिया है, जिसमें चीन के किसी नागरिक का नाम नहीं है।
सूची में सबसे अधिक प्रभावित होने वाले 83 बांग्लादेशी नागरिक हैं। उनके बाद, भारतीय नागरिकों को दूसरे स्थान पर रखा गया है, तीसरे स्थान पर श्रीलंकाई और चौथे स्थान पर नेपाली नागरिक हैं। हालांकि, इन व्यक्तियों के लिए देश छोड़ने की आखिरी तारीख की विवरण रिपोर्ट में उपलब्ध नहीं है।
गैरकानूनी धंधे करने वालों को मालदीव से खदेड़ना: क्या भारत को खुश होना चाहिए?
मालदीव सरकार का विदेशी नागरिकों द्वारा चलाए जा रहे गैरकानूनी बिजनेस को सफाया करने का फैसला भारत के लिए खुशखबरी भी हो सकती है और चिंता का विषय भी। आइए दोनों पहलुओं पर नजर डालें:
खुशखबरी:
- काली कमाई और काला धन रोकना: अगर ये गैरकानूनी बिजनेस भारतीय पैसों से चल रहे थे, तो उन पर लगाम लगाना काला धन रोकने में मदद करेगा। इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और भारतीय वित्तीय प्रणाली भी सुरक्षित होगी।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: अवैध गतिविधियों वाले ये बिजनेस कभी-कभी सुरक्षा संबंधी खतरा भी बन सकते हैं। उन्हें बंद करने से मालदीव और भारत दोनों की सुरक्षा मजबूत होगी।
- ईमानदार कारोबार को बढ़ावा: गैरकानूनी कारोबार बंद होने से कानून मानने वाले भारतीय व्यवसायियों के लिए उचित माहौल बनेगा, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हो सकती है।
चिंता का विषय:
- भारतीय व्यापारियों पर असर: ये सफाई अभियान किस हद तक निष्पक्ष रहेगा? कहीं ऐसा न हो कि इसमें सिर्फ भारतीयों को ही निशाना बनाया जाए, जबकि अन्य देशों के नागरिक बच निकलें। इससे भारतीय व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- राजनीतिक तनाव: मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ही भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव है। यह कदम इस तनाव को और बढ़ा सकता है।
- पर्यटन क्षेत्र पर असर: मालदीव भारतीय पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगह है। कहीं ऐसा न हो कि इस कार्रवाई से भारतीय पर्यटक नाराज होकर वहां जाना बंद कर दें, जिससे मालदीव के पर्यटन क्षेत्र को नुकसान पहुंचे।
निष्कर्ष:
मालदीव में गैरकानूनी व्यापार पर रोक का भारत पर क्या असर होगा, यह देखना बाकी है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि यह कार्रवाई पारदर्शिता और निष्पक्षता से की जाए, जिससे दोनों देशों को फायदा हो। साथ ही, भारत सरकार को मालदीव सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि इस कदम से भारतीय व्यापारियों को कोई नुकसान न पहुंचे और दोनों देशों के बीच के रिश्ते मजबूत हों।