यह वाक्य है कुछ दिन पहले विजयवाड़ा में आई मूसलाधार बारिश का जहां एक पति अपने घर में भर गए पानी का सदुपयोग करते हुए अपनी धर्मपत्नी को ओलंपिक चैंपियन बनने की ट्रेनिंग दे रहा है l वाकई एक मन को सुकून देने वाला पल था की कैसे परिवार एक दूसरे को सहयोग करता है l