ए राजा विवाद: डीएमके के नेता, ए राजा, इस बार फिर विवादों की चरम स्थिति में हैं, इस बार उनके भारत की पहचान पर विवादास्पद बयानों के लिए। सुप्रीम कोर्ट ने सीएम के एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को सनातन धर्म के खिलाफ उनके बयानों पर फटकार लगाई है, लेकिन राजा के बयानों में डीएमके के नेताओं की सनातन धर्म पर बयानबाजी जारी है।
राजा ने एक बयान में कहा, “भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं। इस बात को अच्छे से समझ लें। भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है।”
राजा के विवादित बयानों में उन्होंने भगवान हनुमान की तुलना बंदर से करते हुए ‘जय श्री राम’ के नारे को घृणास्पद बताया। उन्होंने कहा, “कह दो इनको, हम सब राम के शत्रु हैं। मुझे रामायण और भगवान राम पर विश्वास नहीं है।”
राजा ने भारत को उपमहाद्वीप बताते हुए कहा, “भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है।” उन्होंने अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग संस्कृतियां होने का उदाहरण दिया और कहा, “इसी तरह कश्मीर में भी एक संस्कृति है। इसे स्वीकार करो। मणिपुर में लोग कुत्ते का मांस खाते हैं, इस बात को स्वीकार करें। अनेकता में एकता होने के बाद भी हमारे बीच मतभेद हैं, इसे स्वीकार करो।”
देश की आत्मा पर एक प्रहार ए. राजा के शब्द मानो भारत की आत्मा पर किए गए एक प्रहार साबित हुए हैं। उन्होंने एकता की उस डोर को चुनौती दी है जो हमारे देश की विविधता को एक सूत्र में पिरोती है। उनके शब्दों में राष्ट्रवाद की अग्नि के बजाय, विभाजन की राख नजर आती है। जिस देश के महापुरुषों ने धर्म और जाति के बंधनों से ऊपर उठकर सोचने का आह्वान किया, उसी देश में आज हमारी पहचान केवल भाषा और संप्रदाय के आधार पर तय की जा रही है। ए. राजा का बयान इस दुखद सच्चाई को उजागर करता है।