रायपुर / धान की फसलों में रोग व कीट प्रकोप से बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञों ने प्रदेश के किसानों को सलाह दी है। गौरतलब इस खरीफ सीजन में प्रदेश इस में अच्छी बारिश हुई, जिससे अच्छी फसल की संभावना है। वर्तमान कुछ दिनों में प्रदेश में असमय बारिश से कीट प्रकोप व झुलसा रोग बढ़ गए है। बता दें कि खेतों में धान की फसल लहलहा रही है तथा कुछ जगहों पर धान फूटने की स्थिति में है। मौसम अनुकूल न होने के कारण धान की फसल पर विभिन्न प्रकार के रोग और कीट प्रकोप देखने को मिल रहे हैं, जिससे पैदावार प्रभावित हो सकती है। धान की फसल को किट पतंगों व रोगों से बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञ द्वारा सलाह दिए जा रहे हैं।

कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि धान की फसल में झुलसा रोग के लक्षण पत्तियों पर नाव के आकार के धब्बों के रूप में दिखते हैं। इससे बचाव के लिए किसान ट्राईफ्लोक्सीस्ट्रोवीन, टेबुकोनाजोल, ट्राईसाइक्लाजोल एवं हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें। इसी प्रकार शीथ ब्लाइट रोग होने पर हैक्साकोनाजोल का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। वहीं जीवाणु जनित झुलसा रोग के प्रकोप पर खेत से अतिरिक्त पानी निकालकर 3-4 दिन तक खुला रखने एवं प्रति हेक्टेयर 25 किलो पोटाश डालने के साथ कासुगेमाइसीन, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, स्ट्रैप्टोसाइक्लिन या प्लान्टोमाइसिन का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। कीट नियंत्रण के लिए तनाछेदक कीट की निगरानी हेतु फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें। भूरा फुदका कीट के प्रकोप की स्थिति में पाईमेट्राजीन एवं डिनोटेफेरोन का छिड़काव प्रभावी रहेगा। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे समय पर इन उपायों को अपनाकर धान की फसल को सुरक्षित रखें और बेहतर उत्पादन लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *