लंदन की भारतीय कलाकार ने नई दिल्ली के ब्रिटिश काउंसिल में प्रदर्शनी के जरिए नारीत्व की पुरानी सोच को चुनौती दी

बिलासपुर । ब्रिटिश काउंसिल, कस्तूरबा गांधी मार्ग की गैलरी में “जात” प्रदर्शनी पेश की जाएगी, जो सोनाक्षी की एक गहरी और प्रभावशाली मूर्तिकला कृति है। यह प्रदर्शनी मां-बेटी की पीढ़ियों की यादों को पारिवारिक चीजों, धातु और उनके अर्थों के जरिए सामने लाती है। यह प्रदर्शनी 11 जून से 31 जुलाई 2025 तक स्टडी यूके क्रिएटिव कनेक्शन्स के हिस्से के रूप में चलेगी।
आगरा में जन्मी और अब लंदन में रहने वाली सोनाक्षी चतुर्वेदी अपनी पेंटिंग, इनैमलिंग और रत्नों की जानकारी को मिलाकर यह सवाल उठाती हैं कि महिलाओं की कहानियां कैसे याद रखी जाती हैंकृया जानबूझकर भुला दी जाती हैं। यह प्रदर्शनी दुल्हन, मां और दादी जैसे पारंपरिक रोल्स पर सवाल उठाती है और भारतीय उपमहाद्वीप की हस्तकला परंपराओं में छिपी अनकही इच्छाओं को उजागर करती है।

समकालीन कला में एक ताजा आवाज: 2024 में मशहूर रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट से ज्वैलरी और मेटल में एमए पूरा करने वाली सोनाक्षी नई पीढ़ी की कलाकार हैं, जो पुरानी हस्तकला को आधुनिक कला के साथ जोड़ रही हैं। रत्न विशेषज्ञ होने के साथ-साथ इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (संस्कृति मंत्रालय) में शोधकर्ता के रूप में उनका अनुभव उन्हें दक्षिण एशियाई समाजों में गहनों और विरासत के सांस्कृतिक मायने समझने की गहरी समझ देता है।

सोनाक्षी बताती हैं, “जात की शुरुआत मेरी अपनी पुरानी यादों को सहेजने के लिए हुई थी, लेकिन यह जल्द ही एक तरह का दावा बन गयाकृउन पारिवारिक चीजों को खोजने का, जिनमें उन महिलाओं का चुपके से किया गया विरोध छिपा था, जिन्हें सिर्फ मां, दुल्हन या दादी के रूप में जाना गया। अपनी मूर्तियों के जरिए, मैं मां-बेटी की विरासत को चीजों की यादों के रूप में सहेजती हूंकृताकि आने वाली पीढ़ियों की महिलाएं उन्हें सिर्फ उनके रोल्स से नहीं, बल्कि उनकी ख्वाहिशों, आजादी और आवाज के साथ जानें।”

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