सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पंजाब सरकार का कोटे की परिभाषा में बदलाव सिर्फ पैसा कमाने की चाल है l

सुप्रीम कोर्ट ने
पंजाब के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में अप्रवासी भारतीयों (NRI) के दूर के रिश्तेदारों को दाखिला दिए जाने को सरासर धोखाधड़ी बताते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष कोर्ट ने कहा, NRI कोटे की परिभाषा में पंजाब सरकार की ओर से किए गए बदलाव पैसे कमाने की चाल के अलावा कुछ नहीं है। इसे बंद करना होगा।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टि स मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
विदेश में बसे मामा, ताया के रिश्तेदारों को प्रवेश मिले, मेधावी छात्र रह जाएं, ऐसा नहीं होने देंगे
पीठ ने कहा कि एनआरआई कोटे पर लगाम लगाएं। इसके दुष्परिणामों को देखें। तीन गुना अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवारों को मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला नहीं मिलेगा। विदेश में बसे ‘मामा, ताई, ताया’ के दूर के रिश्तेदारों को मेधावी उम्मीदवारों से पहले प्रवेश मिल जाए, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।

पीठ ने कहा…
एनआरआई कोटे के इस कारोबार को हमें बंद कर देना चाहिए। हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ धोखा कर रहे हैं। हम जानते हैं कि किससे निपटना है। हाईकोर्ट ने मामले को बहुत बारीकी से निपटाया है।

पंजाब सरकार ने यूपी व हिमाचल का दिया हवाला पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पंजाब,
हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्य भी NRI कोटा प्रवेश के लिए ऐसे ही नियमों का पालन कर रहे हैं। इन राज्यों में भी एनआरआई कोटे की यही परिभाषा है। राज्यों को तय करने की शक्ति है कि एनआरआई को 15 फीसदी कोटा कैसे दिया जाना है।

सरकार की दलील पर कहा, आप कहते हैं कि एनआरआई के निकटतम रिश्तेदार पर भी विचार किया जाएगा। यह क्या है? यह राज्य की सिर्फ पैसा कमाने की रणनीति है।

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