जब हंसाने वाला ही रुला जाए
रायगढ़ :- प्रदेश के हास्य शिरोमणि सुरेन्द्र दुबे के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए जिला भाजपा अध्यक्ष अरुण धर दीवान ने कहा काश उनकी मृत्यु की जानकारी पहले की तरह अफवाह साबित होती। सुरेंद दुबे जी ने जीते जी सार्वजनिक मंच से अपनी मृत्यु की अफवाह फैलने की जानकारी साझा की थी। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक दुर्ग के बेमेतरा में जन्मे सुरेन्द्र दुबे भारतीय व्यंग्यवादी और लेखक भी रहे। उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं। कई मंचो के साथ टेलीविजन शो पर दिखाई देने वाले सुरेंद्र दुबे जी ने छत्तीसगढ़ वासियों के लिए हास्य की एक बड़ी विरासत अपने पीछे छोड़ी है। हास्य और व्यंग्य के जरिए सत्ता की आइना दिखाने वाले कवि दुबे हास्य और व्यंग्य को भी गंभीर साहित्यिक विधा बना दिया। उनकी रचनाएं समाज के लिए मंथन का विषय भी रही। देश विदेशों के मंच में भी
छत्तीसगढ़ी शब्दावली से श्रोताओं को बांधे रखा । राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों दूरदर्शन सहित अन्य चैनलों के अलावा रायगढ़ के चक्रधर समारोह में भी उनकी प्रस्तुति सराहनीय रही। गंभीर विषयों को हास्य में रखे जाने की अदभुत कला उन्हें अन्य कवियों से विरला एवं श्रेष्ठ स्थापित करती है। लम्बे समय से उनके द्वारा हास्य एवं व्यंग्य की प्रस्तुति छत्तीसगढ़ वासियों के लिए अनमोल विरासत रहेगी। डॉ. सुरेंद्र दुबे ने व्यंग्य और हास्य से सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को छुआ। हास्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक क्रांति हो सकती है। यह सुरेंद्र दुबे ने प्रमाणित किया। उनके निधन से आई रिक्तता शायद कभी ना भर पाए। कवि की मृत्यु एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं, बल्कि मंचों से हास्य व्यंग्य की गूंज का एक ठहराव है। सुरेंद्र दुबे के साहित्यिक जीवन से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए अरुण धर दीवान ने बताया वे वर्ष 2008 में ‘काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित हुए।वर्ष 2010 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हुए। वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान से सम्मानित हुए। संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान से सम्मानित हुए। वर्ष 2019 में अमेरिका के वाशिंगटन में हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित हुए। उनकी रचनाओं पर देश के तीन विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है। उन्होंने हास्य-व्यंग्य साहित्य से जुड़ी पांच पुस्तकें लिखीं।साहित्यिक योगदान के लिये देश-विदेश में सम्मानित हुए है। अरूणधर दीवान ने उनके निधन पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देते हुए कहा उन्हें ईश्वर के चरणों में स्थान मिले साथ ही उनसे जुड़े लोगों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करे।