ग्राम पंचायत स्तर पर निकाली गई जन जागरुकता रैली, दिलाई गई जल संरक्षण की शपथ

लोगों ने श्रम दान करते हुए जलस्रोतों की सफाई, सोखता गड्ढा का भी किया निर्माण

रायगढ़, / कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के निर्देशन एवं सीईओ जिला पंचायत श्री जितेन्द्र यादव के मार्गदर्शन में ‘मोर गाँव, मोर पानी’ महा-अभियान के तहत जिले के 07 विकासखंडों में जल संरक्षण की दिशा में एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक गांव में जल संरक्षण के तरीकों को अपनाना और बढ़ावा देना है, ताकि जल के विवेकपूर्ण उपयोग की आदतें आमजनों के मन में विकसित हो और भविष्य में होने वाले जल संकट से बचा जा सके।
इसका उद्देश्य जल के प्रत्येक बूंद को सहेजने और जल के उचित उपयोग के लिए जागरूकता पैदा करना है। इस अभियान में वर्षा जल संचयन, सोखता गड्ढे, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप गड्ढा और वृक्षारोपण जैसे उपाय शामिल हैं। मोर गांव मोर पानी अभियान से छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस अभियान के माध्यम से जल संरक्षण और जल के उचित उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ रही है और जल संकट को कम करने में मददगार साबित हो रही है। जिले विकासखंडों में कार्यक्रम अधिकारी (मनरेगा) के सहयोग से ग्राम पंचायत स्तर पर जन जागरुकता रैली, जल सरंक्षण की शपथ दिलाई गई, जिसमें जनप्रतिनिधियों एवं पंचायत पदाधिकारियों सरंपच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक के साथ-साथ उपस्थित ग्रामीणों एवं महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा जल संरक्षण की दिशा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अपने कंधो पर ली।
अभियान के तहत पूरे जिले के 549 ग्राम पंचायतों को 28 क्लस्टर में विभाजित किया गया है, प्रत्येक ब्लॉक में 4-4 क्लस्टर बनाये गए है जिनमे क्रमश: 02 जून 7 क्लस्टर, 03 जून 7 क्लस्टर, 04 जून 7 कलस्टर एवं 05 जून 7 क्लस्टर को प्रशिक्षण आयोजित होंगे। प्रथम चरण में जिले के 07 क्लस्टर में कार्यक्रम 02 जून को आयोजित हुए है। जिसमे जि़ले के 138 पंचायत सम्मिलित थे। उपरोक्त प्रशिक्षण में कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा, तकनीकी सहायक सचिव, रोजगार सहायक, सीएलएफ की दीदियाँ एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे। इस दौरान गांव के सरपंच, उपसरपंच के अलावा जनपद क्षेत्र के सदस्य एवं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में पीपीटी के माध्यम से जीआईएस मैप दिखाते हुए लोगों को जानकारी दी गयी कि आपका ग्राम की भौगोलिक संरचना कैसी है, कहां-कहां पर किस किस टाइप के जल संरक्षण संबंधी कार्य किये जा सकते है जिससे भूल जल संरक्षण में भागीदारी सिद्ध हो। उक्त क्रम में तालाबों के निर्माण, गहरीकरण, डबरी कुँवा, सोखता गड्ढा, कंटूर ट्रेंच, गेबियान स्ट्रक्टर, मिट्टी की सिंचाई नाली, बोल्डर चेक डैम, प्लांटेशन कार्य आदि संरचनाओं की विस्तार से जानकारी दी जो कि जल एवं मृदा संरक्षण कार्यो में सर्वाधिक उपयोगी है। रिज टू वेली कांसेप्ट को विस्तार से समझाया गया। प्रशिक्षण उपरान्त प्रतिभागियों द्वारा रैली एवं जल संरक्षण के नारे लगाए गए साथ ही श्रम दान करते हुए जलस्रोतों की सफाई एवं सोखता गड्ढा निर्माण भी किया गया।

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