शंकर नगर धांगरडीपा में भव्य श्री शिव पुराण कथा का आयोजन
रायगढ़ – – शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति शशि – मणिशंकर पांडेय के निवास स्थान शंकर नगर धांगरडीपा में विगत 7 अप्रैल से चैत्र मास के पावन महीना में बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ श्री पांडेय परिवार की पहल से श्री शिव पुराण कथा का सात दिवसीय संगीतमयी आयोजन भव्यता के साथ किया जा रहा है। वहीं व्यासपीठ पर विराजित हैं। मानस रसिक, मानस मराल श्री द्वारिकाधीश मंदिर सारंगढ़ के विद्वान पं गिरधारी लाल तिवारी जो बड़े ही सहज सरल ढंग से भगवान श्री शिव जी की अमृतमयी कथा का रसपान निसदिन दोपहर तीन बजे से भगवान श्री शिव की इच्छा समय तक करा रहे हैं। वहीं भगवान शिव की कथा सुनकर कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालुगण निहाल हो रहे हैं।
आज माता सती प्रसंग – – कथा प्रारंभ के पहले दिन चैत्र शिवपुराण शोभा यात्रा, श्री शिवमहात्मय, कथा प्रारंभ आदिलिंग उत्पत्ति, पूजनविधि, रुद्राक्षधारण महिमा कथा प्रसंग सुनाने के पश्चात व्यासपीठ पर विराजित पं गिरधारी लाल तिवारी ने आज संध्या देवी उपाख्यान, सती प्रसंग की पावन कथा का रसपान कराते हुए सुखी जीवन के सूत्र बताए कि हमें कभी भी किसी के घर बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। अन्यथा हानि और अपमान मिलता है। उन्होंने कथा श्रवण कराते हुए कहा कि देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष थे। माता सती ने भगवान शिव से विवाह किया था। इस विवाह से दक्ष प्रसन्न नहीं थे। प्रजापित दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया और शिव-सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। माता सती को यह बात नारद से मालूम हुई तो वह यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गईं। शिवजी ने माता सती को समझाया कि बिना बुलाए यज्ञ में जाना ठीक नहीं है, लेकिन माता सती नहीं मानीं। शिवजी के मना करने के बाद भी माता सती अपने पिता के घर यज्ञ में चली गईं। जब माता सती यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्हें मालूम हुआ कि यज्ञ में शिवजी के अतिरिक्त सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। यह देखकर माता सती ने पिता दक्ष से शिवजी को न बुलाने का कारण पूछा। जवाब में दक्ष ने शिवजी का अपमान किया। अपने पति का अपमान देख माता सती को सहन नहीं हुआ और उन्होंने हवन कुंड में कूदकर अपनी जान दे दीं। जब यह बात शिवजी को मालूम हुई तो वे बहुत क्रोधित हो गए और शिवजी के कहने पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया। इसलिए इस कथा से हमें यह ज्ञान मिलता है कि कभी भी बिना बुलाए किसी के घर या किसी भी आयोजन में भूलकर भी कदापि नहीं जाना चाहिए। और यदि अपने सही बात कहें तो उसे तुरंत मान लेना चाहिए उनका अनादर नहीं करना चाहिए। इसी तरह पुत्री या किसी अन्य स्त्री के सामने उसके पति की बुराई या अपमान नहीं करना चाहिए। इस तरह से अच्छे जीवन जीने का महत्व भगवान शिव पुराण कथा के माध्यम से बता रहे हैं। इस तरह से पावन कथा बह रही है। वहीं मधुर भजन संगीत गीत और जीवंत मनभावन झांकी के संग श्रद्धालुगण भाव विभोर होकर झूम रहे हैं।
आज होगा शिव पार्वती विवाह महोत्सव – – भगवान श्री शिव पुराण कथा प्रसंग के अंतर्गत आज पावन कथा स्थल में माता पार्वती जन्म, वरपाना, शिवपार्वती विवाह महोत्सव व 12 को श्री गणेश, कार्तिकेय जन्म रहस्य, 13 रविवार जालंधर प्रादुर्भाव, त्रिपुरासुर वध, द्वादश ज्योर्तिलिंग महिमा, 14 को ज्योर्तिलिंग महिमा व 15 अप्रैल दिन मंगलवार को हवन पुर्णाहुति, सहस्त्रधारा, ब्राम्हणभोज, महाप्रसाद का भव्य आयोजन। वहीं कथा स्थल में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
भव्यता देने में जुटे श्रद्धालुगण – – सात दिवसीय पावन संगीतमयी भगवान श्री शिव पुराण कथा के भव्य आयोजन को भव्यता देने में कथा यजमान शशि-मणिशंकर पाण्डेय, संगीता-अचल पाण्डेय, आयु पाण्डेय अनुभा-घनश्याम दुबे अंकिता-रमेश उपाध्याय सविता-लोकनाथ केशरवानी सौम्य, वांछा (न्यासा), सजल, नंदकुमार पाण्डेय, सतीश पाण्डेय, रविशंकर, उमाशंकर, सुकांत, अमित, विकास, विवेक, सूर्यप्रकाश, कौस्तुभ, दिव्यांश, शुभ, विभू एवं समस्त पाण्डेय परिवार के श्रद्धालुगण जुटे हैं। वहीं श्री पांडेय परिवार ने सभी शिव भक्तों से कथा स्थल में पधारकर शिव तत्व ग्रहण कर पुण्य के भागी बनने का निवेदन किया है।

