रायगढ़ ,स्व. श्री लखीराम अग्रवाल स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ के लेक्चर थिएटर में नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम (एनआरपी)का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजन इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के तत्वाधान में किया गया। इस कौशल प्रशिक्षण का विषय -“FIRST GOLDEN MINUTE PROJECT” (पहला गोल्डन मिनट परियोजना )संबंधित रखा गया है। आज 15फ़रवरी 2025 के इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यअतिथि चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ विनीत जैन एवंम संयुक्त संचालक सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार मिंज ,के साथ विशेष अतिथि डॉ ए.एम .लकड़ा (विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया ),कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष डॉ. एल.के.सोनी (प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग विभाग ) कार्यक्रम सचिव डॉ. गौरव क्लाडियस (सहायक प्राध्यापक), डॉ. अंशुल विक्रम श्रीवास्तव (सहायक प्राध्यापक), सहित समस्त अतिथियो और प्रतिभागियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ ।आयोजन अध्यक्ष-डॉ. एल.के. सोनी ने बताया कि लगभग 90 प्रतिशत शिशु अंतर्गर्भाशयी से अतिरिक्त गर्भाशय जीवन में संक्रमण करते है, सहज और नियमित श्वसन शुरू करने के लिए बहुत कम या नही के बराबर सहायता की आवश्यकता होती है। लगभग 10 प्रतिशत नवजात शिशुओं को जन्म के समय सांस लेने के लिए कुछ सहायता की आवश्यकता होती है और केवल 1 प्रतिशत को ही जीवित रहने के लिए व्यापक पुनर्जीवन उपायों की आश्यकता हो सकती है। फिर भी जन्म के समय नवजात शिशु को श्वास लेने में अवरोध नवजात शिशुओं में मृत्यु दर एवं विकृति (रूगण्ता) का एक प्रमुख कारण है और भारत में यह सभी नवजात मृत्यु के पांचवें हिस्से में योगदान देता है। NFHS-5 गणनानुसार भारत में प्रति हजार जीवित जन्म में नवजात शिशु मृत्यु दर (Neonate Mortality Rate)-24.9% शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate )-35.2% एवं 5 वर्ष तक बच्चों में मृत्यु दर (Under 5 Mortality rate)41.9% है। इन मौतों को सही तकनीक और नवजात पुनर्जीवन के लिए उठाए कदमों से रोका जा सकता है। चूंकि रायगढ़ दूरस्थ क्षेत्रों में बाल्य एवं शिशुरोग विषेशज्ञों एवं प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य के मेडिकल कॉलेज स्व. श्री लखीराम अग्रवाल स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय रायगढ़ में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के तत्वाधान में बाल्य एवं शिशुरोग विभाग द्वारा पाठ्यक्रम समन्वयक के रूप में डॉ. माला चौधरी परामर्शदाता, बाल्य चिकित्सा और नवजात विज्ञान विभाग जे.एल.एन.एच. आरसी भिलाई के मार्गदर्शन में नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम पर एक दिवसीय कौशल प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। फर्स्ट गोल्डन मिनट परियोजना के तहत आई.ए.पी. का प्रमुख कार्यक्रम है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के प्रसिद्ध एवं प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञ डॉ. ओंकार खण्डवाल मुख्य प्रशिक्षक, डॉ. अमर सिंह ठाकुर बाल्य चिकित्सा एवं नवजात विज्ञान विभाग बिलासपुर एवं डॉ. संतोष गेमनानी बाल्य एवं नवजात विज्ञान विभाग, स्टार चिल्ड्रन हॉस्पीटल बिलासपुर प्रशिक्षक के रूप में नवजात शिशुओ के आकलन करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया । इसमें बाल्य एवम् शिशुरोग तथा स्त्रीरोग एवं प्रसुति विभाग के डॉक्टर और स्टॉफ नर्स शामिल हुए। उक्त कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष डॉ. एल.के.सोनी (प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग विभाग ) कार्यक्रम सचिव डॉ. गौरव क्लाडियस (सहायक प्राध्यापक), डॉ. अंशुल विक्रम श्रीवास्तव (सहायक प्राध्यापक), डॉ. दुष्यंत कुमार सिदार (जे.आर.), डॉ. मेघा पटेल (जे.आर.), डॉ. लीना नीतिका पैंकरा (जे.आर.), डॉ. आशीष मोटवानी (जे.आर.), डॉ. शालिनी मिंज (जे.आर.), डॉ. राहुल बी पालड़िया (जे.आर.), सहित समस्त स्टाफ़ के सहयोग से संपन्न हुआ। डॉ एम .के . मिंज (संयुक्त संचालक सह अस्पताल अधीक्षक ) ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को अत्याधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीकों से प्रशिक्षित कराना है ताकि वे शिशु जन्म के समय श्वासावरोध से होने वाले विकृतियों में कमी लाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सके ,जिससे शिशु मृत्यु दर में कमी आयेगी l
