सबसे विशष बात है कि रावण वध के बाद जो अवशेष बच जाता है उसे लोग अन्न भंडार तथा तिजोरी में रखते हैं। पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए पुणे, नागपुर, बड़ोदरा गुजरात, रायपुर, बिलासपुर से गोवर्धन परिवार के लोग एकत्रित होते हैं।छत्तीसगढ़ के मुंगेली नगर में मिट्टी के रावण की लाठियों से पीट-पीट कर वध करने की परंपरा वर्षों पुरानी है। इस कड़ी में गोवर्धन परिवार द्वारा मिट्टी के रावण का निर्माण किया जा रहा है। दशमी को सबसे पहले गोवर्धन परिवार के लोग रावण की पूजा करते हैं। इसके बाद यादव समाज द्वारा मिट्टी से निर्मित रावण का लाठी से पीट पीट कर वध किया जाता है।