हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर रासलीला का आयोजन किया जाता है। रासलीला का संबंध द्वापरयुग से है। भगवान श्रीकृष्ण की आराधना के लिए रास का आयोजन किया जाता है। कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने भी धार्मिक दृष्टि से रास का महत्व बताया है।हिंदू धर्म में रासलीला को श्रीकृष्ण की भक्ति से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि द्वापर युग में गोपियों द्वारा रासलीला की जाती थी। रासलीला के जरिए श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है और इसमें नृत्य किया जाता है। रासलीला में कृष्ण की बाल और युवावस्था का मंचन होता है। द्वापरयुग की यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है और हर साल जन्माष्टमी पर इसका मंचन होता है।
Janmashtami 2024: क्या है होती है रासलीला… कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने बताया महत्व
