ऐशोआराम की जिंदगी पाने की चाहत में लोग टांगे के घोड़े की तरह आंखों के दोनों ओर पट्टी बांधकर सरपट भाग रहे हैं। इस भागमभाग में रिश्ते की पहचान भी भुलते जा रहे हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो खून के रिश्तों से भी बढ़कर अपना फर्ज निभा रहे हैं। दिव्यांग बहन को मुहबोले भाई ने दिया ट्राइ सायकल का तोहफा, चलने में लाचार बहन को मिला सहारा….बिल्हा ब्लाक के ग्राम मंजूरपहरी में एक मुंहबोले भाई से दिव्यांग बहन की बेबसी देखा नहीं गया। उन्होंने ठान लिया कि बहन को कोई भी परेशानी नहीं होने देगा। सबसे पहले उन्होंने ट्राइसिकल दिया। पक्के मकान के साथ ही शौचालय का भी निर्माण कराया। अब बहन की जिंदगी में बहार आ गई है। आत्मनिर्भर बनकर गांव में व आसपास भी अपने सारे काम कर रही है। बहन अपने भाई के जैसा भाई सभी बहनों को मिले ऐसी रोज दुआ मांगती है।

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