प्रसिद्ध पुरातत्वविद् पद्मश्री अरुण कुमार शर्मा का 28 February 2024: बुधवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जन्म 1933 में छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था। वे अपने जीवनकाल में अनेक महत्वपूर्ण पुरातात्विक उत्खननों में शामिल रहे, जिनमें अयोध्या का राम जन्मभूमि स्थल भी शामिल है।
श्रीराम मंदिर के संकल्प को पूरा करने में अरुण कुमार शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1990 के दशक में, उन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल पर उत्खनन का नेतृत्व किया। उनकी गवाही ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
शर्मा जी ने 35 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें “आर्कियोलाजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस” भी शामिल है। वे भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किए गए थे।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “श्री अरुण कुमार शर्मा एक प्रतिष्ठित पुरातत्वविद् थे जिन्होंने भारत के समृद्ध इतिहास को उजागर करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। अयोध्या में उनके उत्खनन ने हमारी प्राचीन संस्कृति की गहराई और भव्यता को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
अरुण कुमार शर्मा के निधन से पुरातत्व जगत में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। वे एक प्रेरणादायक व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी विद्वता और समर्पण से भारत के इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अरुण कुमार शर्मा के जीवन और कार्यों की मुख्य बातें:
- जन्म: 1933, रायपुर, छत्तीसगढ़
- मृत्यु: 28 February 2024: बुधवार , रायपुर, छत्तीसगढ़
- शिक्षा: एम.ए. (इतिहास), एम.ए. (पुरातत्व)
- महत्वपूर्ण उत्खनन: अयोध्या, सिरपुर, कालिंगापुर
- पुरस्कार: पद्मश्री (2017)
- महत्वपूर्ण पुस्तकें: “आर्कियोलाजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस”, “द हिस्ट्री ऑफ अयोध्या”
उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेते हुए, हमें भारत के समृद्ध इतिहास को संरक्षित करने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए।