प्रमुख चुनौतियाँ:
सैनिकों की संख्या में असमानता: शुरुआत में ही यूक्रेन की सेना की संख्या रूसी सेना से बहुत कम थी। युद्ध के लंबा खिंचने के कारण, यूक्रेन के सैनिकों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है। घायल होने, मृत्यु, या अन्य कारणों से सैनिकों की संख्या घट रही है। रूस लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है।
हथियारों और गोला बारूद की कमी: यूक्रेन के पास रूसी हमलों का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त हथियार और गोला बारूद नहीं हैं। पश्चिमी देशों से सैन्य सहायता के बावजूद, रूस की तुलना में यूक्रेन के पास कम अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां हैं।
युद्ध लंबा खिंचना: युद्ध के एक साल से अधिक हो जाने के कारण यूक्रेनी सैनिकों के साथ-साथ आम जनता का मनोबल गिर रहा है। लंबे समय तक युद्ध के नकारात्मक परिणाम यूक्रेन को झेलने पड़ रहे हैं ।
इस स्थिति के परिणाम

भारी जान-माल की हानि: इस युद्ध में हज़ारों यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं। बुनियादी ढांचे के नष्ट होने, घरों और शहरों के तबाह होने से लाखों नागरिक विस्थापित हो गए हैं।
यूक्रेन के अस्तित्व पर खतरा: संसाधनों और सैन्य शक्ति में भारी असंतुलन के कारण रूस यूक्रेन पर पूरी तरह से कब्जा करने का प्रयास कर रहा है। इससे यूक्रेन की पूर्ण संप्रभुता खतरे में है।
भू-राजनीतिक अस्थिरता: यह युद्ध पूरे यूरोपीय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अस्थिरता का कारण बना है। वैश्विक स्तर पर अनेक देशों के संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।
अंत में
यूक्रेन की बहादुर सेना ने अपने हौसले और दृढ़ संकल्प से रूस को आश्चर्यचकित कर दिया है। हालाँकि, युद्ध में बने रहने और जीत की स्थिति तक पहुँचने के लिए यूक्रेन को निरंतर अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है।