CBI की सीलबंद रिपोर्ट ने सोमवार (12 फरवरी) को हाईकोर्ट में खुली। इस जांच में सामने आया है कि 169 नर्सिंग कॉलेज मानकों को पूरा करते हैं, जबकि 65 कॉलेज अयोग्य माने गए हैं। इसमें से 74 कॉलेजों में भी कमियां उजागर हो रही हैं।

हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है, जिसमें रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में होगी। इस कमेटी का काम होगा अयोग्य कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों के भविष्य की सुरक्षा करना और उनमें संभावित आपत्तियों का संवेदनशील तरीके से निरीक्षण करना।

इस मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, एडवोकेट विशाल बघेल ने जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसका समर्थन करते हुए हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किया है।

सीबीआई की जांच से पता चला है कि गड़बड़ी के कारण कई नर्सिंग कॉलेजों में अनियमितता हो रही थी, जो छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल रही थी। हाईकोर्ट ने इसे नकारा देते हुए स्थानीय लोगों के हित में कड़ी कदमबद्धता का आदान-प्रदान किया है।

इस घड़ी में, जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल द्वारा गठित कमेटी का मुख्य उद्देश्य यह होगा कि अयोग्यता को रोका जाए और छात्रों को सुरक्षित रखा जाए। इस दिशा में कड़ी कार्रवाई होने की उम्मीद है ताकि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रहे।

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