** छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित होने वाले समस्त व्यावसायिक शिक्षण संस्थान चाहे *निजी विश्वविद्यालय हो* जो कि राज्य के किसी भी नियम से स्थापित किया गया हो *या* UGC के एक्ट-3, सन् 1956 के द्वारा स्थापित हो l इस प्रकार की जितनी भी संस्थाएं छ.ग. राज्य में संचालित हो रही हो, उन सभी में इस एक्ट के प्रावधानों के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया,आरक्षण, *फीस निर्धारण* करने का अधिकार *प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति* को है, किंतु विगत 2-3 वर्षों से यह देखा जा रहा है कि अनेक निजी विश्वविद्यालय इस समिति के एक्ट का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं । ये सभी निजि विश्वविद्यालय गोलमाल तरीके से निजि विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से बिना निरीक्षण कराये मनमानी तरीके से फीस तय करा रहे है, सभी न तो प्रवेश प्रक्रिया में छ.ग. में अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए लागू न तो आरक्षण नियम का पालन कर रहे, और ना ही अपने कैंपस में संचालित विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों जैसे एग्रीकल्चर, बी.टेक.,फ़ार्मेसी इत्यादि पाठ्यक्रमों के फीस का निर्धारण करा रहे है । इस प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा द्वारा पारित एक्ट का खुलेआम उल्लंघन कर विद्यार्थियों को गुमराह किया जा रहा है। एक ही कोर्स के लिए दो अलग अलग संस्थाओं से फीस तय कराया जा रहा है, जिस संस्था से अधिक फीस तय हो रही है, वह फीस लिया जा रहा है ।AFRC कमेटी और निजि विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के बीच व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस तय करने के अधिकार को लेकर घमासान चल रही है ,और बीच में पीस रहे प्रवेशित विद्यार्थी।इन सब की जानकारी उच्च अधिकारी एवं राज्य के हायर एजुकेशन मंत्री को भी है लेकिन सब मौन क्यों है यह सोच का विषय है l