तकनीक और मानवीय संवेदना जब एक साथ आती है, तो चमत्कार भी संभव हो जाते हैं। ऐसा ही एक मार्मिक और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला रायगढ़ जिले के पुसौर क्षेत्र के समीपस्थ ग्राम टिनमिनी में, जहाँ गुजरात से जिला-महिसागर, थाना-कोठम्बा ग्राम-कंकरिया के बरिआ कालू मगन भटके हुए एक बुजुर्ग की घर वापसी की कहानी ने सबका दिल छू लिया, बीते सोमवार को बुजुर्ग बरिआ कालू मगन ग्राम टिनमिनी में दिखाई दिए, जो काफी परेशान और थके हुए लग रहे थे, गाँव वालो ने जब उनसे बातचीत की, तो पता चला कि वह बुजुर्ग गुजरात से हैं। तो सभी युवा साथी मिलकर इंटरनेट के माध्यम से जानकारी जुटाई और संबंधित जिले की एक वेबसाइट से वहाँ के सरपंच और सचिव का संपर्क नंबर प्राप्त किया। जब इन नंबरों पर काॅल किया गया, तो पूर्व सचिव ने पहचान में मदद करते हुए कुछ स्थानीय लोगों से संपर्क कराया। बुजुर्ग की तस्वीरें भेजने और बातचीत के बाद उनकी पहचान गुजरात में उनके परिजनों द्वारा कर ली गई। जब उनके परिवार को यह सूचना मिली, तो वे भावुक हो उठे और बताया कि उन्हें गाँव पहुँचने में दो दिन का समय लगेगा। इस दौरान टिनमिनी गाँव वालों ने उस बुजुर्ग की पूरी सेवा की - उन्हें खाना, कपड़े और रहने की पूरी सुविधा प्रदान की। इस बात को संज्ञान गाँव के सक्रिय समाजसेवी परेश गुप्ता और सुनील बारीक ने ग्राम पंचायत टिनमिनी के सरपंच श्रीमती कुंतीशक्राजीत भोय एवं कोटवार श्री मनबोध चौहान को सूचना दिया।  करीब 12 दिनों से रास्ता भटक रहे बुजुर्ग की हालत काफी कमजोर और भ्रमित थी। स्थानीय लोगों की नजर उन पर तो पड़ी, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही थी। इसी बीच भारतीय जनता युवा मोर्चा के परेश गुप्ता की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने न केवल बुजुर्ग की मदद करने की ठानी, बल्कि उनकी पहचान और परिवार का पता लगाने के लिए गूगल और इंटरनेट का सहारा लिया। थोड़ी मेहनत और संवेदनशील संवाद के जरिए बुजुर्ग से जुड़ी कुछ जानकारी जुटाई और फिर गूगल के माध्यम से संबंधित सुरागों की खोज शुरू की। आखिरकार, वे उनके परिवार तक फोन से संपर्क करने में सफल रहे। परिवार को जब अपने लापता सदस्य के सुरक्षित होने की खबर मिली, तो भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। दो दिनों के भीतर वे रायगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो परेश गुप्ता और सुनील बारीक ने स्वयं उस बुजुर्ग को सकुशल उनके परिजनों तक पहुंचाया,जहाँ बुजुर्ग से मुलाकात का दृश्य बेहद भावुक और हृदयस्पर्शी था। गले मिलते ही आंखों से बहते आंसू और चेहरे पर सुकून – ये पल सबके लिए यादगार बन गए। यह घटना सिर्फ एक परिवार के पुनर्मिलन की नहीं, बल्कि इस बात की मिसाल है कि अगर समाज में संवेदनशील लोग हों और तकनीक का सकारात्मक उपयोग किया जाए, तो हर खोया हुआ व्यक्ति अपने घर तक पहुँच सकता है। विदाई के समय बुजुर्ग और उनके आये परिवार ने भावुक होकर सभी का धन्यवाद किया और कहा कि वे यह जीवनभर नहीं भूलेंगे। टिनमिनी गाँव वासियों ने यह साबित कर दिया कि एक अनजान व्यक्ति अपने गाँव में भूखा या बेसहारा नहीं रहेगा। यह घटना संपूर्ण समाज के लिए एक प्रेरणा है कि इंसानियत और मदद की भावना ही हमें एक बेहतर समाज की ओर ले जाती है।

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